श्रावण मास में हरा रंग पहनने से पूरी होती हैं मनोकामनाएं! हरा रंग क्यों है महादेव को प्रिय? जानिए खास वजह

11 जुलाई 2025 से शुरू हो रहे सावन मास में एक बार फिर प्रकृति हरे रंग की चादर ओढ़े इठलाएगी और वातावरण में भक्ति, प्रेम और सौंदर्य का संगम देखने को मिलेगा. यह वह समय होता है जब मंदिरों में “बम-बम भोले” की गूंज सुनाई देती है, महिलाएं हरे रंग की चूड़ियां, साड़ियां, बिंदी और मेहंदी से सजती हैं, और शिव-पार्वती की आराधना में लीन हो जाती हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सावन में हरे रंग को इतना महत्व क्यों दिया जाता है?

शिव का प्रिय सावन और हरे रंग की पौराणिक कथा
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सावन मास भगवान शिव का अत्यंत प्रिय समय होता है. यही वह मास है जब समुद्र मंथन के दौरान निकले कालकूट विष को शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया था. तभी से उन्हें “नीलकंठ” कहा जाता है. विष पीने के कारण जब शिव तप में लीन हो गए, तो समस्त प्रकृति ने हरियाली ओढ़कर उनकी तपस्या में सहयोग किया. तभी से सावन में जल अर्पण की परंपरा शुरू हुई और हरियाली को शिव भक्ति का प्रतीक माना गया.

हरा रंग: शिव-पार्वती के प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक
हरे रंग को जीवन, समृद्धि और शांतिप्रियता का प्रतीक माना जाता है. यह न केवल प्रकृति की ताजगी को दर्शाता है, बल्कि शिव-पार्वती के प्रेम और सौंदर्य की अनूठी छवि भी प्रस्तुत करता है. देवी पार्वती स्वयं प्रकृति का रूप मानी जाती हैं, और जब वे हरे वस्त्रों में शिव की पूजा करती हैं, तो यह भक्ति के साथ-साथ प्रेम की पराकाष्ठा को भी दर्शाता है.

शास्त्रों में उल्लेख है कि हरा रंग बुध ग्रह से भी जुड़ा है, जो बुद्धि, संवाद और सौम्यता का प्रतीक है. हरे वस्त्र पहनने से बुध देव प्रसन्न होते हैं और जीवन में संतुलन व सफलता प्रदान करते हैं.

महिलाओं के श्रृंगार में हरे रंग का विशेष स्थान
सावन में सुहागिन महिलाएं हरे रंग की चूड़ियां, साड़ियां, बिंदी और मेहंदी का उपयोग विशेष रूप से करती हैं. ये केवल श्रृंगार की वस्तुएं नहीं हैं, बल्कि इनका गहरा आध्यात्मिक अर्थ भी है. हरे रंग की चूड़ियां सौभाग्य और अखंड सुहाग का प्रतीक होती हैं, वहीं मेहंदी का गहरा रंग प्रेम और भक्ति की गहराई को दर्शाता है.

हरियाली तीज और शिव आराधना का संबंध
सावन में आने वाले त्यौहार जैसे हरियाली तीज और हरियाली अमावस्या इस परंपरा को और भी खास बना देते हैं. इन अवसरों पर महिलाएं हरे परिधान पहनकर झूले झूलती हैं, गीत गाती हैं और शिव-पार्वती की पूजा कर अपने परिवार की सुख-शांति और पति की दीर्घायु की कामना करती हैं. यह केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि स्त्री शक्ति की आत्मिक आस्था और प्रकृति के साथ उनके गहरे संबंध की झलक है.

सावन का हरा रंग है शिव-पार्वती की भक्ति का जीवंत प्रतीक
सावन केवल एक ऋतु नहीं, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने का एक आध्यात्मिक पर्व है. हरियाली, भक्ति और प्रेम से ओत-प्रोत यह मास हमें प्रकृति से जुड़ने, रिश्तों को सहेजने और शिव की कृपा प्राप्त करने का सुंदर अवसर देता है. महिलाएं जब हरे रंग से सजी-संवरी भोलेनाथ की आराधना करती हैं, तो वह केवल परंपरा नहीं निभा रहीं होतीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवन दर्शन को साकार कर रही होती हैं.