नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के उन्नाव बलात्कार मामले में भाजपा से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर की आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने संबंधी दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका परसेंगर को नोटिस भेजा है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने सेंगर को दी गई जमानत/सजा निलंबन पर अंतरिम रोक लगा दी, जिससे हाई कोर्ट का आदेश फिलहाल प्रभावहीन हो गया है।
सोमवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की तीन सदस्यीय अवकाशकालीन पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। अदालत ने सीबीआई की दलीलों पर प्रारंभिक सहमति जताते हुए कुलदीप सिंह सेंगर को नोटिस जारी किया और उससे जवाब मांगा है। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट के 23 दिसंबर के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने यह कहते हुए राहत दी थी कि सेंगर अब तक सात साल पांच महीने की सजा काट चुका है और उसकी अपील लंबित है।
सीबीआई ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट का यह कहना गलत है कि अपराध के समय विधायक रहा सेंगर लोकसेवक नहीं था। एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट के एल.के. आडवाणी मामले के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सांसद या विधायक जैसे संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति को लोकसेवक माना जाता है और उस पर समाज व राज्य के प्रति अधिक जिम्मेदारी होती है। गौरतलब है कि हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद सेंगर जेल में ही रहने वाला था, क्योंकि वह पीडि़ता के पिता की हिरासत में हुई मौत के मामले में 10 साल की सजा भी काट रहा है और उस प्रकरण में उसे जमानत नहीं मिली है। अब सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद उन्नाव बलात्कार मामले में उसे मिली राहत पर भी पूरी तरह विराम लग गया है।

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