जम्मू। जम्मू-कश्मीर में कड़ाके की सर्दी के बीच सेना ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक मोर्चा खोल दिया है। किश्तवाड़ और डोडा के दुर्गम, बर्फ से ढके जंगलों में बीते सात दिनों से लगातार ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ चालू है। यह अब तक का सबसे बड़ा सर्दी में हो रहा सर्च ऑपरेशन है, जिसमें करीब दो हजार जवान तैनात हैं। खुफिया इनपुट्स के मुताबिक इन इलाकों में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी आतंकियों के छिपे होने की आशंका है, जिन्हें पूरी तरह घेरा गया है।
आमतौर पर आतंकी सर्दियों में बर्फबारी, कोहरे और बंद रास्तों का फायदा उठाकर जंगलों में छिपते हैं। लेकिन इस बार सेना ने अपनी पूरी रणनीति बदल दी है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अस्थायी बेस, फॉरवर्ड पोस्ट और सर्विलांस प्वाइंट स्थापित किए हैं। माइनस तापमान, तेज बर्फीली हवाओं और घने जंगलों के बीच जवान चौबीसों घंटे पेट्रोलिंग कर रहे हैं। घाटियों से लेकर पहाड़ी रिजलाइन तक हर संभावित मूवमेंट कॉरिडोर को सील किया गया है।
सूत्रों के अनुसार, हाल के महीनों में सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई के चलते आतंकी ऊंचे और निर्जन इलाकों में सिमट गए हैं। लोकल आबादी से कटने के कारण उन्हें न रसद मिल पा रही है और न ही किसी बड़े हमले की योजना बनाने का मौका। कुछ आतंकी गांवों में दबाव बनाकर मदद लेने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लोकल समर्थन करीब खत्म हो चुका है।
इस अभियान में जैश-ए-मोहम्मद के इनामी कमांडर सैफुल्लाह और उसके सहयोगी आदिल की तलाश जारी है। दोनों पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम घोषित है। लोगों ने खुलकर सेना का समर्थन कर आतंकियों को देश का दुश्मन बताते हुए उनके खिलाफ सूचना देने की बात कही है।
ऑपरेशन पूरी तरह मल्टी-एजेंसी आपरेट किया जा रहा है। सेना के साथ जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ, स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप, वन गार्ड्स और ग्राम रक्षा गार्डस मिलकर ऑपरेशन आल आउट में जुटे हैं। ड्रोन, थर्मल इमेजिंग, ग्राउंड सेंसर और सर्विलांस रडार जैसी आधुनिक तकनीक से हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।

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