पटना: बिहार विधानसभा चुनावों के बाद जहां एनडीए ने ऐतिहासिक बहुमत हासिल किया है, वहीं महागठबंधन इतिहास की सबसे कमजोर स्थिति में पहुंच गया है. लेकिन जीत की यह लहर अब राजनीतिक व्यवहार में संयम और संतुलन की मांग कर रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में बिहार के नेताओं को साफ इशारा किया है कि लोकतंत्र प्रतिस्पर्धा का मंच है, लेकिन अहंकार का नहीं. अवसर संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन का था. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में विपक्ष से सदन की कार्यवाही को लेकर सकारात्मक रूप अपनाने अपील की. उन्होंने कहा कि विपक्ष को पराजय की निराशा से बाहर निकलना चाहिए. इसके साथ ही पीएम मोदी ने अपने संबोधन में परोक्ष रूप से बिहार के नेताओं को भी संदेश दिया कि जीत का अभिमान न रखें.
राजनीति के जानकार कहते हैं कि ऐसा लगता है कि उनका यह संदेश सीधे बिहार के उन नेताओं के लिए है जो हाल की चुनावी जीत के बाद अति उत्साह में व्यावहारिक उग्रता दिखा रहे हैं. बता दें कि बिहार विधानसभा चुनावों में NDA ने 243 सीटों में से 202 पर कब्जा जमाकर महागठबंधन को महज 35 पर सिमेट दिया था. रिकॉर्ड वोटर टर्नआउट और महिलाओं की भारी भागीदारी ने लोकतंत्र की ताकत दिखाई, लेकिन अब पीएम का यह संदेश बिहार की सियासत को नई दिशा दे रहा है. दरअसल, दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण, लेकिन संदेश सीधा पटना की राजनीति के उन गलियारों तक पहुंचा जहां जीत का उत्साह और हार की तल्खी अभी तक हवा में तैर रही है. पीएम मोदी ने विपक्ष को “निराशा से बाहर आने” और सत्ता पक्ष को “विजय के अहंकार से बचने” की सलाह दी, उसे राजनीतिक जानकार बिहार की मौजूदा सियासी स्थिति से जोड़कर पढ़ रहे हैं.

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