
पाकिस्तान जनवरी, 2025 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का अस्थायी सदस्य चुना गया था और अब रोटेशन के तहत उसे यूएनएससी की अध्यक्षता मिल गई है। अध्यक्षता मिलते ही पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और एक बार फिर वहीं पुराना कश्मीर का राग छेड़ दिया है, जिसे लेकर भारत हमेशा से कहता रहा है कि यह द्विपक्षीय मसला है। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत असीम इफ्तिखार अहमद ने कहा है कि कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए यूएनएससी को जरूरी कदम उठाने चाहिए। पाकिस्तानी दूत ने द्विपक्षीय मामले के अंतरराष्ट्रीयकरण की कोशिश करते हुए कहा कि कश्मीर का विवादित मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच गंभीर तनाव का विषय बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र के न्यूयार्क हैडक्वार्टर में बोलते हुए पाकिस्तानी राजदूत ने कहा कि दुनिया को अब इस मुद्दे पर काम करने की जरूरत है।
कश्मीर मुद्दे पर बात करने का यही वक्त है और मैं कहूंगा कि ये सिर्फ पाकिस्तान की जिम्मेदारी नहीं है… हम यहां अस्थायी हैं…दो साल के लिए अस्थायी सदस्य। मेरा मानना है कि यह मुद्दा सुरक्षा परिषद का भी है, खासकर परिषद के स्थायी सदस्यों का कि वे ऐसे कदम उठाएं, जिससे इस मुद्दे का समाधान संयुक्त राष्ट्र के ही प्रावधानों के हिसाब से किया जा सके। यही एक रास्ता है। इफ्तिखार अहमद ने कहा कि परिषद, विशेष रूप से इसके स्थायी सदस्यों के लिए, अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने और कश्मीर पर लंबे समय से चले आ रहे प्रस्तावों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का समय आ गया है। यह सिर्फ पाकिस्तान का बोझ नहीं है।
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