अगरतला। त्रिपुरा के जीरानिया और बोधजंग नगर क्षेत्रों में जनता का धैर्य तब जवाब दे गया, जब प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश से आए आठ गैस बुलेट टैंकर्स को रोक दिया। बांग्लादेशी वापस जाओ के नारों के साथ हुआ विरोध प्रदर्शन केवल एक नाकाबंदी नहीं, बल्कि पड़ोसी देश में पनप रहे भारत-विरोधी विमर्श और हिंदुओं पर हो रहे हमलों के खिलाफ एक कड़ा संदेश है।
दरअसल बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के आने को विशेषज्ञ केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि कट्टरपंथ का आगमन मान रहे हैं। यूनुस की चीन यात्रा और वहां सेवन सिस्टर्स (पूर्वोत्तर भारत) के लिए बांग्लादेश को गार्जियन बताने वाला बयान भारत की क्षेत्रीय अखंडता के लिए सीधी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। त्रिपुरा जैसे शांत राज्य में इस तरह का प्रदर्शन भारत की बदलती रणनीति और जन-भावनाओं को दर्शाता है। प्रदर्शनकारियों का स्पष्ट कहना है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार अब स्वीकार्य नहीं हैं। भारत-विरोधी एजेंडा चलाने वालों को भारतीय संसाधनों का लाभ नहीं मिलने दिया जाएगा। सीमा पार से दी जा रही धमकियों का जवाब अब ज़मीनी कार्रवाई से दिया जाएगा।

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