
भोपाल। प्रदेश में दो दशक पहले वर्ल्ड बैंक की सहायता से सिंचाई परियोजनाओं का मेंटेनेंस, नवीनीकरण और नई परियोजनाओं के निर्माण आदि कार्यों के लिए 1900 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई गई थी। तत्कालीन समय में यह काम कराने वाले अफसर रिटायर्ड हो चुके हैं और अब लोकायुक्त संगठन ने इनकी पड़ताल शुरू कर दी है। इसके लिए जल संसाधन विभाग से इनकी डिटेल रिपोर्ट मांगी गई है। मप्र के 29 जिलों में बांधों की मरम्मत, संधारण और नए बांधों का निर्माण कराने के लिए राज्य सरकार ने वर्ल्ड बैंक से 1900 करोड़ का कर्ज लिया था। तत्कालीन समय में उक्तराशि से करीब 300 से अधिक बांधों पर काम कराया गया। बाद में यह राशि बढ़कर 2300 करोड़ हो गई थी। तत्कालीन समय में हुए इन कामों में भ्रष्टाचार को लेकर शिकवा, शिकायतें भी हुई थीं और कुछ इंजीनियरों को निलंबित भी किया गया। लेकिन दो दशक बाद लोकायुक्त द्वारा इस मामले की जांच-पड़ताल करना सवाल खडेÞ कर रहा है, क्योंकि तत्कालीन समय में जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता पीके तिवारी हुआ करते थे, जिनके पास वर्ल्ड बैंक के कामों की भी जिम्मेदारी थी। तिवारी को रिटायर्ड हुए करीब 15 साल गुजर गए हैं और उनके कार्यकाल के दौरान फील्ड में या मुख्यालय में मुख्य अभियंता, अधीक्षण यंत्री, कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री के रूप में पदस्थ रहे इंजीनियरों की भी डिटेल रिपोर्ट लोकायुक्त द्वारा मांगी जाने पर किसी बडेÞ भ्रष्टाचार या मामले की आशंका को बल दे रही है।
लोकायुक्त ने इनकी मांगी रिपोर्ट
तत्कालीन ईएनसी पीके तिवारी, तत्कालीन चीफ इंजीनियर जेएस ठाकुर, एनआर खरे, अधीक्षण यंत्री डीजी पाटीदार, कार्यपालन यंत्री आरके शर्मा, आरपी खरे, उपयंत्री एलएस घोषी, डब्ल्यू डी गव्हाडेÞ, अनुविभागीय अधिकारी केआर धारे, सचिव एवं लेखाधिकारी एमएल रघुवंशी, अधीक्षक जीपी दक्ष, लेखाअधिकारी बरन सिंह आदि के बारे में रिपोर्ट तलब की है। लोकायुक्त ने इन अधिकारियों, कर्मचारियों की सेवा पुस्तिक, प्रथम नियुक्ति, किस श्रेणी के अधिकारी, कर्मचारी है। प्रथम नियुक्ति आदेश, पदस्थापना के दौरान कार्य आंवटन आदेश की प्रति भी मांगी गई है।
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