नया साल शुरू होने में अब बस कुछ ही दिन शेष हैं और राजधानी दिल्ली पहले से ही 2026 के स्वागत की तैयारियों में डूबी हुई है. हर ओर उत्सव का माहौल है, लेकिन इस बार जश्न केवल कैलेंडर बदलने का नहीं, बल्कि एक ऐसे परिवर्तन का है जो दिल्ली की रफ्तार, सुविधाओं और भविष्य की दिशा को नए सिरे से परिभाषित करेगा. साल 2026 दिल्ली के लिए केवल एक और साल नहीं होगा, बल्कि यह वह मोड़ साबित होगा, जहां राजधानी का इंफ्रास्ट्रक्चर आधुनिक भारत की पहचान बनकर उभरेगा. मेट्रो की नई लाइन, विश्वस्तरीय एक्सप्रेसवे और हाई-स्पीड ट्रेन से लेकर विशाल अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट तक, हर स्तर पर दिल्ली एक नए कलेवर में नजर आएगी |
गोल्डन लाइन से बदलेगी दिल्ली मेट्रो की तस्वीर
दिल्ली की पहचान बन चुकी मेट्रो, साल 2026 में एक और बड़ा कदम आगे बढ़ाने जा रही है. मेट्रो फेज-4 के तहत प्रस्तावित और तेजी से आकार ले रही गोल्डन लाइन, तुगलकाबाद से एरोसिटी तक राजधानी की कनेक्टिविटी को नई ऊंचाई देगी. यह लाइन केवल एक नई मेट्रो लाइन नहीं होगी, बल्कि दक्षिणी दिल्ली, फरीदाबाद और एनसीआर के लाखों यात्रियों के लिए समय और सुविधा, दोनों की बचत का जरिया बनेगी |
तुगलकाबाद स्टेशन इस गोल्डन लाइन का सबसे अहम केंद्र बनने जा रहा है. यहां एक आधुनिक भूमिगत इंटरचेंज तैयार किया जा रहा है, जो मौजूदा वायलेट लाइन से सीधे जुड़ा होगा. 45 मीटर लंबा सब-वे यात्रियों को बिना किसी झंझट के एक लाइन से दूसरी लाइन में जाने की सुविधा देगा. अभी तक फरीदाबाद या बल्लभगढ़ से एयरपोर्ट पहुंचने में यात्रियों को कई लाइनें बदलनी पड़ती थीं और करीब डेढ़ से दो घंटे का समय लग जाता था. गोल्डन लाइन के चालू होते ही यह सफर महज एक घंटे में सिमट जाएगा |
नमो भारत ट्रेन: रैपिड रेल से NCR की दूरी होगी कम
दिल्ली और मेरठ के बीच रोजाना लाखों लोग सफर करते हैं. 2026 में यह सफर पूरी तरह बदलने जा रहा है. नमो भारत रैपिड रेल कॉरिडोर, जो सराय काले खां से मोदीपुरम तक फैला है, राजधानी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को हाई-स्पीड कनेक्टिविटी से जोड़ देगा. लगभग 82 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर दिल्ली-एनसीआर में क्षेत्रीय यात्रा की परिभाषा बदल देगा. 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली यह ट्रेन न केवल समय बचाएगी, बल्कि यात्रा को आरामदायक और भरोसेमंद भी बनाएगी. खास बात यह है कि मेरठ मेट्रो और नमो भारत ट्रेन का संयुक्त संचालन यात्रियों को मेट्रो जैसी सुविधा और रैपिड रेल जैसी स्पीड, दोनों पहुंचाएगी |
जेवर एयरपोर्ट: दिल्ली- NCR को मिलेगा नई उड़ान
दिल्ली-एनसीआर के लिए 2026 का सबसे बड़ा तोहफा होगा जेवर में बन रहा नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट. जनवरी 2026 में इसके उद्घाटन की संभावना है और इसके साथ ही यह उत्तर प्रदेश का पांचवां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन जाएगा. 5845 हेक्टेयर में फैला यह ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट अत्याधुनिक तकनीक से तैयार किया जा रहा है. इस एयरपोर्ट पर एक साथ 178 विमानों की पार्किंग क्षमता होगी. जेवर इंटनरेशनल एयरपोर्ट पर विमानों के लिए 6 रनवे तैयार किए जा रहे हैं. 6 रनवे के साथ ही इसका नाम शिकागो-ओहारे एयरपोर्ट जैसे हवाई अड्डे की लिस्ट में शामिल हो जाएगा |
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे: 1355 KM और आधा समय
देश की दो सबसे बड़ी आर्थिक राजधानियों को जोड़ने वाला दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे 2026 तक लगभग पूरी तरह तैयार हो जाएगा. 1355 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे भविष्य में 12 लेन तक बढ़ाया जाएगा और दिल्ली से मुंबई की दूरी को साढ़े 12 घंटे में समेट देगा. इस मेगा प्रोजेक्ट का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा भारतमाला परियोजना के तहत किया जा रहा है. अभी तक इसका बड़ा हिस्सा आम यातायात के लिए खोला जा चुका है और शेष हिस्सों के भी 2026 तक चालू होने की उम्मीद है. इस एक्सप्रेसवे के चलते न केवल लॉजिस्टिक्स सेक्टर को रफ्तार मिलेगी, बल्कि रास्ते में पड़ने वाले राज्यों में औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियां भी तेजी से बढ़ेंगी |
दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे: तीर्थयात्रा होगी आसान
देशभर से लाखों श्रद्धालु हर साल अमृतसर और कटरा की यात्रा करते हैं. 2026 में दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे के चालू होते ही यह यात्रा पहले से कहीं ज्यादा आसान और तेज हो जाएगी. करीब 670 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे के जरिए दिल्ली से कटरा का सफर मात्र छह घंटे में पूरा किया जा सकेगा, जो अभी 14 घंटे तक का होता है. 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के लिए डिजाइन किया गया यह छह लेन का एक्सप्रेसवे न केवल तीर्थयात्रियों को राहत देगा, बल्कि पंजाब और जम्मू-कश्मीर के आर्थिक विकास को भी नई गति देगा |
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे: 16 कट, ढाई घंटे का सफर
उत्तराखंड जाने वालों के लिए 2026 किसी वरदान से कम नहीं होगा. दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे, जिसे आधिकारिक रूप से दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर कहा जाता है, राजधानी से देहरादून का सफर महज ढाई घंटे में पूरा कर देगा. करीब 210 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे अत्याधुनिक तकनीक और पर्यावरण-संवेदनशील डिजाइन के साथ तैयार किया गया है. इस परियोजना पर लगभग 13 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं और इसके शुरू होते ही दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच एक नया आर्थिक गलियारा खुलेगा. पर्यटन, व्यापार और रोजगार, तीनों क्षेत्रों में इसका सीधा लाभ देखने को मिलेगा |
दिल्ली की सड़कों पर लौटेगी चमक और रफ्तार
केवल बड़े प्रोजेक्ट ही नहीं, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी सड़कें भी 2026 तक नई चमक हासिल करेंगी. दिल्ली सरकार ने 500 किलोमीटर प्रमुख सड़कों की मरम्मत और पुनर्निर्माण का लक्ष्य रखा है. री-कार्पेटिंग, गड्ढों की भराई, फुटपाथों का सुधार और स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज, ये सभी काम राजधानी की सड़कों को सुरक्षित और सुगम बनाएंगे. दक्षिणी दिल्ली में पुराने फ्लाईओवरों की मरम्मत और जलभराव रोकने की योजनाएं भी तेजी से आगे बढ़ रही हैं. इससे न केवल ट्रैफिक जाम की समस्या कम होगी, बल्कि मानसून के दौरान होने वाली परेशानियों से भी राहत मिलेगी |

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