
सरकार ने टेलीविजन व्यूवरशिप मीजरमेंट इकोसिस्टम में कॉम्पिटिशन को बढ़ावा देने के लिए इच्छुक कंपनियों के प्रवेश बाधाओं को हटाने का प्रस्ताव दिया है। मिनिस्ट्री ऑफ इनफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग ने टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों के पॉलिसी गाइडलाइन में संशोधन का प्लान तैयार किया है।
सरकार की कोशिश है कि टीआरपी सिस्टम में देशभर के दर्शकों विविध और विकसित मीडिया उपभोग आदतों को दर्शाया जाए। इसके लिए पॉलिसी के क्लॉज 1.5 और 1.7 को हटाने का प्रस्ताव दिया गया है, जिसमें रेटिंग एजेंसियों और ब्रॉडकास्टर्स, एडवरटाइजर्स और एडवरटाइजिंग एजेंसियों के क्रॉस होल्डिंग को प्रतिबंधित किया गया था।
लोगों से मांगी गई राय
मंत्रालय ने दर्शकों, ब्रॉडकास्टर्स, एडवरटाइजर्स और अन्य लोगों से 1 अगस्त तक इस संबंध में सुझाव मांगे हैं। इस वक्त ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च काउंसिल एकलौती एजेंसी है, जो टीवी की रेटिंग प्रदान करती है। लेकिन इसमें कनेक्टेड टीवी डिवाइस व्यूवरशिप को ट्रैक नहीं किया जा सकता।
देश में करीब 230 मिलियन घरों में टीवी है। लेकिन इसमें से केवल 58 हजार जगहों पर ही मीटर लगा है, जिसमें व्यूवरशिप डेटा को दर्ज किया जाता है। यह कुल संख्या का महज 0.025 प्रतिशत है। एक बयान में कहा है कि मौजूदा ऑडिएंस मीजरमेंट टेक्नोलॉजी स्मार्ट टीवी, स्ट्रीमिंग डिवाइस और मोबाइल एप्लीकेशंस की व्यूवरशिप को कैप्चर नहीं करती हैं।
बयान में कहा गया है कि जैसे-जैसे देखने की आदत बदली है, उन्हें मापने का तरीका भी बदलना चाहिए। इन संशोधनों को एजेंसियों के बीच हेल्दी कॉम्पिटिशन, नई तकनीकें लाने और कनेक्टेड टीवी प्लेटफॉर्म्स के लिए अधिक विश्वसनीय और प्रतिनिधि डेटा प्रदान करने की अनुमति देना है।
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