
छत्तीसगढ़ के रायपुर में ईओडब्ल्यू ने इंडियन ओवरसीज बैंक राजिम में हुए 1 करोड़ 65 लाख के गोल्ड लोन घोटाले में 2000 पन्नों का चालान पेश किया। इनमें 26 पेज की समरी में बताया गया कि किस तरह से 17 बैंक खाते के जरिए घोटाला किया गया।
मृत लोगों और निष्क्रिय बैंक खातों में घोटाले की रकम को जमा करने के कुछ दिनों बाद उसे निकाल कर तत्कालीन बैंक मैनेजर सुनील कुमार, सहायक प्रबंधक अंकिता पाणिग्रही, लिपिक योगेश पटेल और खेमनलाल कंवर ने आपस में बांट लिया।
आईओबी घोटाले में 2000 पन्नों का चालान पेश
यह घोटाला राजिम स्थित बैंक में 2022 के दौरान हुआ था। बैंक के तत्कालीन मैनेजर, सहायक प्रबंधक ने बैंकिंग सिस्टम का दुरुपयोग करते हुए 1.65 करोड़ रुपए का गोल्ड लोन फ्रॉड किया। घोटाले को अंजाम देने लिपिक योगेश और खेमनलाल को शामिल किया गया। उक्त सभी लोगों ने बंद पड़े खातों और कम ट्रांजेक्शन वाले खातों को टारगेट बनाकर फर्जी दस्तावेजों के सहारे उन खातों के नाम पर गोल्ड लोन स्वीकृत किया। साथ ही लोन की रकम को बैंक से निकालकर आपस में बांट लिया।
सिंडिकेट बनाकर किया घोटाला
इंडियन ओवरसीज बैंक घोटाला करने के लिए बैंक मैनेजर ने अपने सहयोगी कर्मचारी के साथ मिलकर सिंडिकेट बनाया। साथ ही उन खातों को चिन्हित किया जिसमें किसी भी तरह का पिछले काफी समय से लेनदेन नहीं हुआ था। उन्हें खातों के जरिए ट्रांजैक्शन किया गया।
इसकी भनक तक किसी को नहीं मिली। ऑडिट के दौरान चोरी पकडे जाने पर पूरे मामले को दबाने का प्रयास किया गया। लेकिन जांच के दौरान गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद स्थानीय थाने के साथ ही ईओडब्ल्यू को प्रकरण सौंपा गया।
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