
सब्जियों और कुछ दालों की कीमतों में तेजी के बावजूद जून की खुदरा महंगाई 2.6 फीसदी रह सकती है। यह लगातार पांचवां महीना होगा, जब महंगाई दर आरबीआई के तय दायरे चार फीसदी के अंदर रहेगी। मई में यह घटकर 2.82 फीसदी रह गई थी जो छह वर्षों में सबसे कम थी।
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार, जून में जरूरी वस्तुओं के दाम घटे हैं, जिसका असर आंकड़ों पर दिखेगा। बेहतर उत्पादन से सब्जियों और दालों की कीमतों में तेजी आई है। हालांकि, टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों में मासिक आधार पर सामान्य मौसमी वृद्धि देखी जा रही है। सालाना आधार पर इनके दाम घटे हैं। जून और जुलाई में इन वस्तुओं की कीमतों में उलटफेर की सामान्य मौसमी प्रवृत्ति से टमाटर, प्याज और आलू पर बारीकी से नजर रखने की आवश्यकता है, क्योंकि पहली कटाई अवधि समाप्त होने वाली है। हालांकि, मुद्रास्फीति के लिए दृष्टिकोण आरामदायक बना है। जुलाई, 2025 में भी महंगाई दर कम रह सकती है।
सालाना आधार पर कुल प्रमुख 20 कमोडिटी में से 11 की कीमतों में जून में गिरावट दिखी है। इसमें प्याज और आलू के खुदरा भाव जून में 26.1 और 20.3 फीसदी घटे हैं। टमाटर के भाव सालाना आधार पर सस्ता होने के बावजूद मासिक आधार पर जून में 36.1 फीसदी बढ़े हैं।
अरहर दाल के दाम सबसे ज्यादा घटे
दालों में भी गिरावट देखी जा रही है। सबसे अधिक गिरावट अरहर में आई है। जून में इसके भाव 23.8 फीसदी घटे हैं, जो मई में 18.9 फीसदी घटे थे। लगातार चौथे महीने दोहरे अंकों की गिरावट आई है। अन्य दालों में उड़द 8.5%, मसूर 6.7% और मूंग 6.6% फीसदी सस्ती हुई है।
अनाज की खुदरा कीमतों में भी गिरावट
अनाज की खुदरा कीमत में भी नरमी देखी गई है। जून में चावल की कीमत में 5.1% घटी हैं। गुड़ और नमक पैक जैसी विविध वस्तुओं के लिए कीमतें काफी हद तक नियंत्रित रहीं। खाद्य तेलों की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं। आलू के लिए भी पिछले दो महीनों में कीमतें धीरे-धीरे बढ़ रही हैं। प्याज की कीमतें अभी भी सीमित हैं, जिसमें -0.4% की गिरावट आई है।
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