West Bengal Politics में एक बार फिर प्रवासी मजदूरों का मुद्दा केंद्र में आ गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में काम कर रहे बंगाली भाषी प्रवासी मजदूरों पर हो रहे कथित हमलों और उत्पीड़न का मामला जोरदार तरीके से उठाया।
अधीर रंजन चौधरी ने पीएम मोदी से आग्रह किया कि पश्चिम बंगाल से बाहर काम करने वाले प्रवासी बंगाली मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय रहते इस मुद्दे पर कदम नहीं उठाए गए, तो देश के कई हिस्सों में समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव और हिंसा की स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह केवल कानून-व्यवस्था का सवाल नहीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द से भी जुड़ा गंभीर विषय है।
पत्र में अधीर रंजन ने आरोप लगाया कि कई राज्यों में प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस ‘बांग्लाभाषी’ और ‘बांग्लादेशी’ लोगों के बीच फर्क नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने लिखा कि बिना किसी अपराध के बंगाली भाषी लोगों को हिरासत केंद्रों या जेल में डाल दिया जाता है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। यह स्थिति गरीब और मेहनतकश प्रवासी मजदूरों के लिए बेहद पीड़ादायक है।
उन्होंने पश्चिम बंगाल प्रवासी कल्याण बोर्ड की रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया है कि पिछले 10 महीनों में उत्पीड़न की 1,143 शिकायतें दर्ज हुई हैं। खास बात यह है कि इनमें से अधिकतर मामले भाजपा शासित राज्यों से जुड़े बताए गए हैं।
अधीर रंजन ने ओडिशा के संबलपुर की घटना का भी उल्लेख किया, जहां मुर्शिदाबाद के एक युवक की बांग्लादेशी घुसपैठिए होने के शक में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। अंत में, West Bengal Politics से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे पर उन्होंने प्रधानमंत्री से सभी राज्य सरकारों को संवेदनशील बनाने और प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की।

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