
नई दिल्ली
दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क को जोर का झटका लगना वाला है। इलेक्ट्रिक कारों के बाजार में उनकी कंपनी टेस्ला की बादशाहत खतरे में है। चीन की कंपनी बीवाईडी नए साल में टेस्ला की कुर्सी छीन सकती है। टेस्ला दुनिया में सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी है। पिछले कुछ साल में चीन की कंपनियों ने ईवी मार्केट में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। कारों के एक्सपोर्ट में अमेरिका, साउथ कोरिया और जर्मनी को पछाड़ने के बाद चीन अब जापान से आगे निकलने के करीब पहुंच गया है। चीन ने इस साल अक्टूबर तक 36 लाख गाड़ियों का निर्यात किया है जिनमें से 13 लाख ईवी थीं।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन के शेनजेन के हेज फंड Snow Bull Capital के चाइना ऑपरेशन के चीफ ब्रिजेट मैककार्थी ने कहा कि ऑटो इंडस्ट्री का कंप्टीटिव लैंडस्केप बदल चुका है। अब यह साइज और लीगेसी का मामला नहीं रह गया है। अब यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी जल्दी इनोवेट करते हैं। बीवाईडी ने बहुत पहले ही इसकी तैयारी कर ली थी और अब दूसरी कंपनियों को उसे पकड़ने के लिए रेस लगानी होगी। टेस्ला के मुकाबले बीवाईडी की कारों की कीमत काफी कम है।
भारत में बिजनस
मस्क का कहना है कि भारी ब्याज दर के कारण ईवी को खरीदने की हैसियत कम ही लोगों के पास है। लेकिन बीवाईडी के फाउंडर वांग चानफू ने कहा कि इस राय से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। वीबाईडी की करीब आधा दर्जन कारों की कीमत चीन में टेस्ला की सबसे सस्ती कार मॉडल 3 सेडान से कहीं कम है। टेस्ला ने अब तक भारत में अपना बिजनस शुरू नहीं किया है। कंपनी ने केंद्र सरकार से कारों के आयात पर टैक्स कम करने की मांग की थी लेकिन सरकार ने इसे नहीं माना। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टेस्ला सरकार के साथ एक डील फाइनल करने के काफी करीब पहुंच चुकी है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले एक साल के अंदर भारत की सड़कों पर टेस्ला की कारें दौड़ती हुई नजर आएंगी।
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