Chhattisgarh High Court 2025 में न्यायिक दक्षता और समयबद्ध न्याय के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित हुआ है। माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा के दूरदर्शी नेतृत्व में उच्च न्यायालय ने लंबित मामलों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की, जिससे आम नागरिकों को शीघ्र न्याय मिलने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
“न्याय में देरी, न्याय से वंचना” के सिद्धांत पर जोर
मुख्य न्यायाधीश के मार्गदर्शन में न्यायालय ने इस मूल सिद्धांत को आत्मसात किया कि न्याय में देरी, न्याय से वंचना के समान है। इसी सोच के तहत मामलों के शीघ्र, गुणवत्तापूर्ण और प्रभावी निराकरण को प्राथमिकता दी गई। इसके लिए स्पष्ट नीतिगत दिशा-निर्देश, नियमित मॉनिटरिंग और न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं व न्यायालयीन कर्मचारियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया गया।
आंकड़ों में दिखी न्यायिक सफलता
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी 2025 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में 84,305 प्रकरण लंबित थे। वर्ष 2025 के दौरान 55,416 नए मामले दर्ज हुए, जबकि 64,054 मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा किया गया। इसके परिणामस्वरूप लंबित प्रकरणों में 8,638 की शुद्ध कमी आई, जो करीब 10.25 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाती है।
115.59% निपटान दर ने बढ़ाया भरोसा
वर्ष 2025 में प्रकरणों की निराकरण दर 115.59 प्रतिशत रही, यानी न्यायालय ने नए मामलों से अधिक पुराने लंबित मामलों का भी समाधान किया। इससे न्याय चाहने वाले नागरिकों को बड़ी राहत मिली और न्यायपालिका पर भरोसा और मजबूत हुआ।
तकनीक और टीमवर्क रहा सफलता का आधार
इस उपलब्धि के पीछे तकनीकी संसाधनों का बेहतर उपयोग, केस मैनेजमेंट सिस्टम में सुधार और समयबद्ध सुनवाई जैसी पहलें अहम रहीं। साथ ही न्यायिक अधिकारियों और स्टाफ की प्रतिबद्धता ने Chhattisgarh High Court 2025 को न्यायिक सुधारों का प्रेरणास्रोत बना दिया।

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