अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी की नातिन तातियाना श्लॉसबर्ग ( Tatiana Schlossberg) का 35 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. तातियाना लंबे समय से एक दुर्लभ कैंसर से जूझ रही थीं. यह बीमारी आमतौर पर बुजुर्गों में पाई जाती है, लेकिन किस्मत ने इसे एक युवा मां के हिस्से में डाल दिया. नवंबर 2025 में उन्होंने खुद खुलासा किया था कि वह एक्यूट मायलॉइड ल्यूकेमिया (AML) के एक दुर्लभ प्रकार से पीड़ित हैं |
उनके निधन की जानकारी जॉन एफ. केनेडी प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी एंड म्यूज़ियम ने सोशल मीडिया के जरिए दी. तातियाना ने अपनी मौत से पहले अपनी बीमारी, दर्द, डर और उम्मीदों को शब्दों में ढालकर एक ऐसी कहानी लिखी, जिसने पूरी दुनिया को भावुक कर दिया |
कौन थीं तातियाना श्लॉसबर्ग
तातियाना श्लॉसबर्ग अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी की नातिन और कैरोलिन केनेडी की बेटी थीं. वह एक पर्यावरण पत्रकार थीं और द न्यू यॉर्कर जैसी प्रतिष्ठित मैगजीन के लिए लिखती थीं. वह दो बच्चों की मां थीं और पूरी तरह एक्टिव, फिट और स्वस्थ जीवन जी रही थीं जब तक कि मई 2024 में उनकी जिंदगी अचानक बदल नहीं गई. उस साल उन्हें कैंसर के बारे में पता चला. तब उनकी उम्र 34 साल थी.
किस बीमारी से हुई मौत?
तातियाना को एक्यूट मायलॉइड ल्यूकेमिया (AML) का पता तब चला, जब उन्होंने अपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया. डिलीवरी के कुछ घंटों बाद डॉक्टरों ने उनके खून में व्हाइट ब्लड सेल काउंट असामान्य रूप से ज्यादा पाया. जहां सामान्य संख्या 4,000 से 11,000 होती है, वहीं उनका काउंट 1,31,000 तक पहुंच गया था. जांच में सामने आया कि उन्हें AML का एक दुर्लभ म्यूटेशन इनवर्ज़न 3 है, जो ज़्यादातर बुजुर्ग मरीजों में पाया जाता है. डॉक्टरों के मुताबिक यह कैंसर बार-बार लौटने की प्रवृत्ति रखता है और सामान्य इलाज से ठीक नहीं होता |
कीमोथेरेपी से लेकर स्टेम सेल ट्रांसप्लांट तक
तातियाना को कई दौर की कीमोथेरेपी से गुजरना पड़ा. इसके बाद उनकी बहन ने स्टेम सेल डोनेट किए, जिससे पहला बोन मैरो ट्रांसप्लांट हुआ. कुछ समय के लिए वह रिमिशन में भी गईं, लेकिन कैंसर लौट आया | इसके बाद CAR-T सेल थेरेपी समेत कई क्लिनिकल ट्रायल हुए, दूसरा ट्रांसप्लांट भी किया गया, लेकिन बीमारी हर बार वापस लौटती रही. आखिरकार डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि शायद वह एक साल से ज्यादा नहीं जी पाएंगी |
मौत से पहले लिखी मार्मिक कहानी
मौत से कुछ समय पहले तातियाना श्लॉसबर्ग ने द न्यू यॉर्कर में एक लंबा और बेहद भावुक लेख लिखा था. लेख का शिर्षक है- A Battle with My Blood. यह लेख उनके नाना, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी की हत्या की 62वीं बरसी पर प्रकाशित हुआ. इस लेख में तातियाना बताती हैं कि जब किसी इंसान को ये एहसास हो जाता है कि उसकी जिंदगी अब ज्यादा लंबी नहीं है तो यादें अपने आप लौटने लगती हैं. बचपन, दोस्त, लोग, जगहें और छोटी-छोटी बातें, सब कुछ एक साथ दिमाग में आने लगता है |
बच्चों से बिछड़ने का दर्द किया बयां
अपने लेख में उन्होंने सबसे ज्यादा दर्द अपने बच्चों से दूर रहने का बताया है. वो लिखती है कि संक्रमण के खतरे की वजह से वो अपनी नवजात बेटी की ठीक से देखभाल भी नहीं कर पाईं. न उसे गोद में ले सकीं, न नहला सकीं, न ठीक से उसके साथ समय बिता सकीं. उन्हें डर था कि कहीं उनकी बेटी उन्हें याद भी रख पाएगी या नहीं. उन्होंने लिखा कि, क्या उसे पता होगा कि मैं उसकी मां हूं? वहीं अपने बेटे के लिए वह हर छोटी याद को अपने भीतर सहेज लेना चाहती थीं | उसकी बातें, उसकी हंसी और उसका उन्हें गले लगाना | लेख के अंत में वह लिखती हैं कि उन्हें नहीं पता मौत के बाद क्या होता है, लेकिन जब तक सांस है, वह यादें संजोती रहेंगी और उम्मीद करती रहेंगी कि उनके बच्चे जानें उनकी मां सिर्फ बीमार नहीं थी, वह उनसे बेहद प्यार करती थी |
अपने पति के लिए भावुक शब्द
तातियाना ने अपने लेख में अपने पति की भी दिल से तारीफ की है. उन्होंने लिखा कि इस मुश्किल दौर में उनके पति हर कदम पर उनके साथ खड़े रहे. वह अस्पताल के फर्श पर सोए, हर डॉक्टर से बात की, बीमा और इलाज से जुड़े सारे फैसले संभाले और उनकी नाराज़गी तक चुपचाप सहते रहे. तातियाना लिखती हैं कि वह खुद को बहुत खुशकिस्मत मानती हैं कि उन्हें ऐसा जीवनसाथी मिला, और उतनी ही दुखी हैं कि उन्हें इतनी जल्दी यह खूबसूरत जिंदगी छोड़नी पड़ रही है |
अधूरी रह गई किताब
तातियाना बताती हैं कि उन्हें इलाज के दौरान बताया गया था कि उन्हें महीनों तक कीमोथेरेपी करानी होगी और फिर बोन मैरो ट्रांसप्लांट से गुजरना पड़ेगा. इलाज लंबा, दर्दनाक और अनिश्चित था. वह समुद्र और पर्यावरण पर एक किताब लिखना चाहती थीं, लेकिन बीमारी ने यह सपना भी छीन लिया. उन्होंने लिखा कि, मैं कभी नहीं जान पाऊंगी कि हमने महासागरों को बचाया या उन्हें बर्बाद होने दिया |
अपने ही रिश्तेदार की नीतियों पर सवाल
अपने लेख में तातियाना ने अपने चचेरे भाई और अमेरिका के हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज सेक्रेटरी रॉबर्ट एफ. केनेडी जूनियर की नीतियों पर भी सवाल उठाए. उन्होंने लिखा कि वैक्सीन और मेडिकल रिसर्च को लेकर उनकी सोच कैंसर जैसे गंभीर रोगों से जूझ रहे मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. तातियाना ने चिंता जताई कि जिन सरकारी फंडिंग और रिसर्च के सहारे उनकी जान बचाने की कोशिश हो रही थी, वही अब कटौती का शिकार हो रही है और इसका असर सिर्फ उन पर नहीं, बल्कि हजारों मरीजों पर पड़ेगा |

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