अजमेर। ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 814वें उर्स में दरगाह के अहाता ए नूर में छठी की फातिहा हुई। इसके बाद महफिल खाना में कुल की महफिल हुई। दोपहर को दरगाह दीवान के पुत्र सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती जन्नती दरवाजे से होकर आस्ताना शरीफ गुस्ल की रस्म अदा की। उनके जन्नती दरवाजे में दाखिल होते ही यह दरवाजा बंद किया गया। कुल की रस्म अदा करने के साथ ही उर्स का समापन हो गया। इसके बाद जायरीनों का लौटना शुरू हो गया है। शनिवार को 814वें उर्स का सबसे पवित्र दिन छठी शरीफ मनाई गई। पूरी दरगाह सुबह से शाम तक रूहानी रंग में रंगी रही और जायरीनों की भीड़ ने एक अनोखा आध्यात्मिक समंदर बना दिया। दरगाह दीवान के पुत्र ने महफिल खाने में शाही महफिल सजाई। जिसमें मशहूर शाही कव्वालों ने अपनी मधुर आवाज में कव्वाली पेश की। बाद में कुल की रस्म अदा की। खादिमों ने एक-दूसरे की दस्तारबंदी की और उर्स मुबारकबाद दी। पूरे दिन दरगाह परिसर में नजर-ओ-नियाज और लंगर का सिलसिला जारी रहा। हजारों लोगों ने लंगर में हिस्सा लिया।

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