जयपुर: राजस्थान पुलिस अगर ठान ले तो सात समंदर पार छिपे हुए अपराधियों को भी पकड़ सकती है। लेकिन इच्छा शक्ति न हो तो घर में बैठे बदमाशों तक पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है। यह बात हाल ही में सामने आए एक चौंकाने वाले खुलासे से साबित होती है।
बता दें कि जिन कुख्यात तस्करों और बदमाशों को पुलिस वर्षों तक नहीं पकड़ पाई, उन्हें मादक पदार्थ विरोधी कार्यबल (एएनटीएफ) ने महज तीन महीने में सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
इस अवधि में एएनटीएफ ने 13 प्रकरणों में 30.15 करोड़ रुपए के मादक पदार्थ जब्त किए। 21 इनामी तस्कर-बदमाश सलाखों के पीछे पहुंचाए गए। इनमें कई ऐसे तस्कर हैं, जिनके खिलाफ कई राज्यों में प्रकरण दर्ज थे और जिन्हें पकड़ने के लिए पुलिस वर्षों से प्रयास कर रही थी। इन तस्करों में हाई-वेल्यू टारगेट, नेटवर्क ऑपरेटर और इंटर-स्टेट सप्लाई चेन संभालने वाले सरगना भी शामिल हैं।
स्कूल-कॉलेजों तक पहुंचा ड्रग्स
प्रदेश में नशे की तस्करी और स्कूल-कॉलेजों तक नशा पहुंचाने वाले गैंग की बढ़ती गतिविधियों के कारण सरकार ने अगस्त में एएनटीएफ का गठन किया। उद्देश्य था छिपे हुए नेटवर्क को जड़ से खत्म करना और तस्करों को कानून के शिकंजे में लाना। कई तस्कर लोकेशन बदलते रहे, कुछ ने दूसरे राज्यों में शरण ले रखी थी। एएनटीएफ की रणनीति, इनपुट और तकनीक के इस्तेमाल ने उन्हें ढूंढ निकाला।
एएनटीएफ ने एटीएस के साथ 100 करोड़ की एमडी ड्रग्स फैक्ट्री स्थापित करने वाले मास्टरमाइंड 25 हजार के इनामी कमलेश उर्फ कार्तिक को जैसलमेर के सांगड़ क्षेत्र से अक्टूबर में गिरफ्तार किया। आरोपी कमलेश कॉर्पोरेट स्टाइल में ड्रग्स का कारोबार चला रहा था और गैंग के सदस्यों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंप रखी थीं। आरोपी गैंग का हिसाब-किताब निपटाने के लिए आया, तभी उसे पकड़ा।
जोधपुर के लूणी क्षेत्र के तिलिया गोलिया निवासी दिनेश बिश्नोई (27) ने गांव में रहकर मादक पदार्थ तस्करी कर करोड़ों की संपत्ति जुटा ली। लेकिन चार वर्ष से तस्करी से जुड़ा होने के बाद भी पुलिस की नजर उस पर नहीं पड़ी। जबकि उस पर चार जिलों में 6 प्रकरण दर्ज थे और 25 हजार रुपए का इनाम था। एएनटीएफ ने तीन दिन पहले आरोपी के भागने के रास्तों को बंद किया और उसको पकड़ा।
मादक पदार्थ तस्करों के खिलाफ विशेष कार्ययोजना बनाकर उनकी धरपकड़ के लिए अलग-अलग ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। आमजन से भी अपील है कि उनको किसी भी तस्कर के संबंध में जानकारी मिले तो एएनटीएफ को सूचना दें, उनका नाम गोपनीय रखा जाएगा।

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