चीन के साथ मिलकर भारत को घेरने में जुटा अमेरिका…टैरिफ वाले गेम प्लान के लिए भारत को साधने में जुटा अमेरिका

वॉशिंगटन।  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ के दम पर दुनिया को अपने कब्जे में करने की कोशिश कर रहे हैं। अपनी इसी रणनीति के तहत ट्रंप की नजर भारत और पाकिस्तान के 60 लाख करोड़ रूपए के रेयर अर्थ पर है। डोनाल्ड ट्रंप ने जब से टैरिफ वाला गेम शुरू किया है, तभी से रेयर अर्थ मेटल की खूब चर्चा हो रही है। इतनी चर्चा हुई है कि इस पर एकाधिकार रखने वाले चीन ने इसके निर्यात पर ही प्रतिबंध लगा दिए। चीन दुनिया में रेयर अर्थ मेटल का राजा है। उसके पास सबसे रेयर अर्थ एलिमेंट्स का भंडार है। दुनिया को चीन के सामने हाथ फैलाना पड़ता है।
ऐसे में अमेरिका की नजर भारत और पाकिस्तान में स्थित रेयर अर्थ पर है। गौरतलब है कि कुछ साल पहले जम्मू-कश्मीर में करीब 10 लाख करोड़ रूपए के रेयर अर्थ मेटल का भंडार मिला है। वहीं इसी दौरान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 50 लाख करोड़ रूपए के भंडार मिले हैं। जानकारों का कहना है कि इसी 60 लाख करोड़ रूपए के रेयर अर्थ मेटल के लिए ट्रंप भारत और अमेरिका के बीच समन्वय बनाने के लिए सेतू बनने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि दोनों देशों पर टैरिफ का दबाव डालकर उनसे समझौता किया जाए और रेयर अर्थ मेटल पर कब्जा जमाया जाए। उधर, चीन ने भारत को जरूरी मशीनों और पाट्र्स की डिलीवरी रोक दी है। ये मशीनें और पार्ट इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टर्स के लिए बेहद जरूरी हैं। इसके अलावा, भारत में आईफोन बनाने वाली कंपनी फॉक्सकॉन ने अपने 300 से ज्यादा चीनी इंजीनियर्स और टेक्नीशियन्स को भारत से वापस बुलाने का निर्देश दिया है।

जल्द होगा व्यापार समझौता
इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक व्यापार समझौता होगा। जिसमें टैरिफ काफी कम होंगे। ट्रम्प ने इसे दोनों देशों के बाजारों में बेहतर प्रतिस्पर्धा के लिए अच्छ बताया। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भारत के साथ हमारी डील होने जा रही है। और यह एक अलग तरह की डील होगी। ऐसी डील, जिसमें हम भारत के बाजार में प्रवेश कर सकें और प्रतिस्पर्धा कर सकें। अभी भारत किसी को अंदर आने नहीं देता। लेकिन मुझे लगता है कि भारत अब ऐसा करेगा। और अगर ऐसा हुआ, तो हम कम टैरिफ वाली डील कर पाएंगे।

 7 दिनों से बातचीत जारी
भारत और अमेरिका के बीच इस समय द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर वॉशिंगटन में बीते 7 दिनों से बातचीत जारी है। इसका मकसद 9 जुलाई की अहम डेडलाइन से पहले एक अंतरिम समझौता करना है। भारत और अमेरिका के बीच अगर 9 जुलाई तक कोई समझौता नहीं हुआ हुआ तो भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लग सकता है। यह वो तारीख है जब ट्रम्प के सस्पेंडेड टैरिफ दोबारा लागू होंगे। ट्रम्प ने 2 अप्रैल को दुनियाभर के करीब 100 देशों पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया था। इसमें भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगा। फिर 9 अप्रैल को ट्रम्प प्रशासन ने इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया। ट्रम्प ने ये समय भारत जैसे देशों को डील पर फैसले लेने के लिए दिया है। अगर बातचीत नाकाम रहती है, तो 26 प्रतिशत का टैरिफ स्ट्रक्चर तुरंत प्रभाव से फिर से लागू हो जाएगा अमेरिका कृषि व डेयरी में शुल्क रियायत की मांग कर रहा है। हालांकि भारत ने रुख कड़ा किया है। भारत का मानना है कि जीएम फसलों, कृषि व डेयरी प्रोडक्ट, मेडिकल डिवाइस व डेटा लोकलाइजेशन में ज्यादा छूट दी, तो खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।

व्यापार को 500 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य
भारत-अमेरिका डील से जुड़े लोगों ने बताया कि हफ्तों पहले हुई बातचीत में मुख्य रूप से भारत और अमेरिका में इंडस्ट्री और कृषि उत्पादों के लिए ज्यादा बाजार पहुंच, टैरिफ में कटौती और नॉन-टैरिफ बैरियर्स पर फोकस रहा। अमेरिकी डेलिगेशन की अगुआई यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस के अधिकारियों ने की। जबकि भारतीय व्यापार मंत्रालय की टीम की कमान सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल कर रहे थे। इस समझौते का लक्ष्य दोनों देशों के बीच सालाना द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 190 अरब डॉलर (करीब 16 लाख करोड़) से बढ़ाकर 2030 तक 500 अरब डॉलर (करीब 43 लाख करोड़) तक ले जाना है।

आईफोन को लेकर लड़ाई
उधर, चीन ने भारत के उद्योग जगत को प्रभावित करने की तैयारी शुरू कर दी है। चीन ने भारत को जरूरी मशीनों और पाट्र्स की डिलीवरी रोक दी है। ये मशीनें और पार्ट इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टर्स के लिए बेहद जरूरी हैं। इसके अलावा, भारत में आईफोन बनाने वाली कंपनी फॉक्सकॉन ने अपने 300 से ज्यादा चीनी इंजीनियर्स और टेक्नीशियन्स को भारत से वापस बुलाने का निर्देश दिया है। रिपोट्र्स के मुताबिक चीन ने ऐसा भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को प्रभावित करने के लिए किया है। सूत्रों ने कहा कि चाइनीज कर्मचारियों की संख्या 1 प्रतिशत से भी कम है, लेकिन ये प्रोडक्शन और क्वालिटी मैनेजमेंट जैसे अहम ऑपरेशंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चीनी सरकार द्वारा अपने नागरिकों को वापस बुलाने के निर्देश से फैक्ट्रियों में काम धीमा हो सकता है। बीती दिनों चीन ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में इस्तेमाल होने वाले रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सप्लाई भी रोक दी थी। ऐसे में चीन के इन दोनों कदमों को भारत की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ को कमजोर करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। चीन शायद भारत के साथ टिट-फॉर-टैट की रणनीति अपना रहा है, क्योंकि उनके कॉर्पोरेट कर्मचारियों को बिजनेस वीजा हासिल करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। एक उद्योग सूत्र ने कहा, हम इस मामले पर सरकार को एक रिपोर्ट भेजने का प्लान बना रहे हैं। आईफोन मैन्यूफैक्चरिंग पर अभी चीन का दबदबा है। 2024 में कंपनी के ग्लोबल आईफोन शिपमेंट में इसका हिस्सा लगभग 28 प्रतिशत था।

चार साल पहले भारत ने आईफोन असेंबलिंग शुरू की थी
भारत ने 4 साल पहले बड़े पैमाने पर आईफोन असेंबल करना शुरू किया था, और अब ये ग्लोबल प्रोडक्शन का पांचवां हिस्सा बनाता है। एपल की योजना 2026 के अंत तक अमेरिका के लिए ज्यादातर आईफोन्स भारत में बनाने की है, जिसकी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने आलोचना की है। राष्ट्रपति ने कहा है कि एपल को अमेरिकी ग्राहकों के लिए आईफोन अमेरिका में ही बनाने चाहिए। लेकिन अमेरिका में महंगी लेबर लागत के कारण वहां आईफोन उत्पादन करना व्यवहारिक नहीं है। वहीं अगर चीन अपने इंजीनियर्स को अमेरिका जाने से रोकता है, तो एपल की अपने देश में गैजेट असेंबली शुरू करने की योजना और भी मुश्किल हो जाएगी। भारत में पिछले कुछ सालों में आईफोन प्रोडक्शन तेजी से बढ़ा है। 2024 में भारत ने 14 बिलियन डॉलर की वैल्यू के आईफोन्स बनाए, और जनवरी-मई 2025 में 4.4 बिलियन डॉलर के आईफोन्स अमेरिका को एक्सपोर्ट किए। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के मुताबिक, अब 25 प्रतिशत आईफोन्स भारत में बनाए जा रहे हैं।